शैव्या की सुनो पुकार🙏
शैव्या की सुनो पुकार स्वामी
हे ! विश्वनाथ काशीवसिया🙏
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रोहिताश मरा पिया बिक गया
शैव्या की सुनो पुकार स्वामी
शैव्या की सुनो पुकार … . .
जिस रोहित को तूने स्वामी
कलेजे चिपका कर मेवा
मिश्री कन्दमूल फल अपने
हाथ खिलाया हो स्वामीजी
अपने हाथ . . . . . .
सर्प डंस से मृतक पड़ा है
तेरा रोहित लाल कफ़न
नहीं अग्निकाज हे स्वामी
कफ़न नहीं अग्निकाज . . . . .
अनल विकल हो मांग रहा है
दे दे शैव्या रोहित आज मुझे
भस्म रमाये अलख जगाये
छोड़ जगत चले निज धाम
सहर्ष विदा का वक्त हे रानी
दक्षिणा दे करो ना आनाकानी
सत्य के खातिर डोम के हाथ
बिकाय श्मशान खड़ा है स्वामी
फूटी कौड़ी पास नही है जो मेरा
था सर्वस्व वह भी साथ नहीं
कैसे करूँ कफ़न दान हे देव !
कैसे करूँ कफन दान … . .
शैव्या की सुन ले पुकार स्वामी
हे ! विश्वनाथ काशी वसिया
हरिश्वचंद बोल उठे क्षण सुनले
मेरी बात हे रानी सुनले . . .
चंद्र टरै सूरज टरै टरै जगत
व्यवहार पैदृह वचन श्रीहरिश्चन्द्र
का टरै ना सत्य विचार . . . .
विलाप का जगह नहीं है रानी
कफ़न दान अग्निकाज पल है
मोह माया छोड़ निर्मोही काया
सत्य रक्षा खातिर खड़ा हूँ रानी
दे दे आँचल का टुकड़ा फाड़
हे रानी दे दे ऑचल का टुकड़ा . . .
ज्योंहि फाड़ा ऑचल का टुकड़ा
ब्रह्माण्ड हिला धरती डोली बादल
फटा स्वर्णसिंहासन लिए ब्रह्म खड़ा
बिजयी नृप हरिश्वचंद सत्यवादी
भार्या रोहिताश्व ले गए मोक्ष धाम ।
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टी. पी . तरुण
( तारकेश्वर प्रसाद तरुण )