खुल जाता है सुबह उठते ही इसका पिटारा...
मेरी खुशी हमेसा भटकती रही
ख़्वाब तेरा, तेरा ख़्याल लिए,
मुझे सहारा नहीं तुम्हारा साथी बनना है,
हुआ जो मिलन, बाद मुद्दत्तों के, हम बिखर गए,
डॉ0 रामबली मिश्रबली मिश्र के दोहे
वसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2. Blessed One
Santosh Khanna (world record holder)
तेवरी : व्यवस्था की रीढ़ पर प्रहार +ओमप्रकाश गुप्त ‘मधुर’
88BET 143.215 – Link vào nhà cái 188BET hàng đầu tại Châu Á
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
राधे
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
गमों को हटा चल खुशियां मनाते हैं
जुगनू सी ख़्वाहिश ...... लघु रचना
Science teacher's Umbrella