बड़ा बेवाक लहज़ा है बड़ी दिलकश अदायें हैं,
मैं अक्सर उसके सामने बैठ कर उसे अपने एहसास बताता था लेकिन ना
अब आदमी के जाने कितने रंग हो गए।
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
तुम रूठकर मुझसे दूर जा रही हो
आज इस देश का मंजर बदल गया यारों ।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वो राम को भी लाए हैं वो मृत्युं बूटी भी लाए थे,
सारे निशां मिटा देते हैं।
जीवन से प्यार करो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
खोने के पश्चात ही,हुई मूल्य पहचान
*युगपुरुष राम भरोसे लाल (नाटक)*
बेटियाँ जब भी अपने मायका आती है