Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jul 2023 · 1 min read

शे’र/ MUSAFIR BAITHA

व्यर्थ की धारणा है दुआ नाम की कसरत
अक्ल मारी गई जिसकी वही पड़ा इस फेरे में

Language: Hindi
Tag: शेर
64 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr MusafiR BaithA
View all
You may also like:
भक्ति एक रूप अनेक
भक्ति एक रूप अनेक
DR ARUN KUMAR SHASTRI
23/168.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/168.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
हमारी चाहत तो चाँद पे जाने की थी!!
SUNIL kumar
फिर एक पल भी ना लगा ये सोचने में........
फिर एक पल भी ना लगा ये सोचने में........
shabina. Naaz
जीवन मे
जीवन मे
Dr fauzia Naseem shad
श्राद्ध ही रिश्तें, सिच रहा
श्राद्ध ही रिश्तें, सिच रहा
Anil chobisa
मन होता है मेरा,
मन होता है मेरा,
Dr Tabassum Jahan
नई बहू
नई बहू
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
जिनमें बिना किसी विरोध के अपनी गलतियों
Paras Nath Jha
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
मैं रूठ जाता हूँ खुद से, उससे, सबसे
सिद्धार्थ गोरखपुरी
अनुभूति
अनुभूति
Punam Pande
रिश्ते
रिश्ते
Mamta Rani
ख़ामोशी को कभी कमजोरी ना समझना, ये तो तूफ़ान लाती है।।
ख़ामोशी को कभी कमजोरी ना समझना, ये तो तूफ़ान लाती है।।
Lokesh Sharma
निष्ठुर संवेदना
निष्ठुर संवेदना
Alok Saxena
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
रिश्ते से बाहर निकले हैं - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
चिंगारी के गर्भ में,
चिंगारी के गर्भ में,
sushil sarna
गले लगाना पड़ता है
गले लगाना पड़ता है
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
"अनुवाद"
Dr. Kishan tandon kranti
हम कितने आजाद
हम कितने आजाद
लक्ष्मी सिंह
"साधक के गुण"
Yogendra Chaturwedi
सब कुछ मिले संभव नहीं
सब कुछ मिले संभव नहीं
Dr. Rajeev Jain
World Tobacco Prohibition Day
World Tobacco Prohibition Day
Tushar Jagawat
किताब का दर्द
किताब का दर्द
Dr. Man Mohan Krishna
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
हाँ, क्या नहीं किया इसके लिए मैंने
gurudeenverma198
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
मैं लिखती नहीं
मैं लिखती नहीं
Davina Amar Thakral
🌷मनोरथ🌷
🌷मनोरथ🌷
पंकज कुमार कर्ण
*माँ*
*माँ*
Naushaba Suriya
बस चार ही है कंधे
बस चार ही है कंधे
Rituraj shivem verma
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
मदहोशी के इन अड्डो को आज जलाने निकला हूं
कवि दीपक बवेजा
Loading...