Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Feb 2020 · 1 min read

शेर

दरिया की तरह हैं मेरा जीने का सलीक़ा!
चुपचाप से बहता हूँ और मौज में रहता हूँ!

?~अनूप एस.

Language: Hindi
1 Like · 461 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
न काज़ल की थी.......
न काज़ल की थी.......
Keshav kishor Kumar
बुंदेली दोहा- अस्नान
बुंदेली दोहा- अस्नान
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
शीर्षक – फूलों के सतरंगी आंचल तले,
Sonam Puneet Dubey
मिटते ही इंसान के,
मिटते ही इंसान के,
sushil sarna
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
मुझे नहीं पसंद किसी की जीहुजूरी
ruby kumari
संस्कारी बच्चा-   Beby तुम बस एक साल रह लो कुॅवांरी,
संस्कारी बच्चा- Beby तुम बस एक साल रह लो कुॅवांरी,
Shubham Pandey (S P)
कुछ नमी अपने
कुछ नमी अपने
Dr fauzia Naseem shad
"खूबसूरत आंखें आत्माओं के अंधेरों को रोक देती हैं"
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" परख "
Dr. Kishan tandon kranti
"साहित्यकार और पत्रकार दोनों समाज का आइना होते है हर परिस्थि
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
हाँ देख रहा हूँ सीख रहा हूँ
विकास शुक्ल
जय जय जय जय जय माँ दुर्गा
जय जय जय जय जय माँ दुर्गा
gurudeenverma198
*जमीं भी झूमने लगीं है*
*जमीं भी झूमने लगीं है*
Krishna Manshi
गीत
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
दया समता समर्पण त्याग के आदर्श रघुनंदन।
जगदीश शर्मा सहज
लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो
लड़को की योग्यता पर सवाल क्यो
भरत कुमार सोलंकी
दिल की बात बताऊँ कैसे
दिल की बात बताऊँ कैसे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
बह्र 2122 2122 212 फ़ाईलातुन फ़ाईलातुन फ़ाईलुन
Neelam Sharma
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
लम्हा लम्हा कम हो रहा है
Rekha khichi
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
*अध्यात्म ज्योति* : वर्ष 53 अंक 1, जनवरी-जून 2020
Ravi Prakash
किशोरावस्था : एक चिंतन
किशोरावस्था : एक चिंतन
Shyam Sundar Subramanian
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
ये प्यार की है बातें, सुनलों जरा सुनाउँ !
DrLakshman Jha Parimal
हारने से पहले कोई हरा नहीं सकता
हारने से पहले कोई हरा नहीं सकता
कवि दीपक बवेजा
2599.पूर्णिका
2599.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
दिन अंधेरे हैं, सबक चमकते हैं,
दिन अंधेरे हैं, सबक चमकते हैं,
पूर्वार्थ
आज़ाद भारत का सबसे घटिया, उबाऊ और मुद्दा-विहीन चुनाव इस बार।
आज़ाद भारत का सबसे घटिया, उबाऊ और मुद्दा-विहीन चुनाव इस बार।
*प्रणय प्रभात*
क्या हिसाब दूँ
क्या हिसाब दूँ
हिमांशु Kulshrestha
अरमान
अरमान
Kanchan Khanna
Loading...