शेर
मन में उम्मीद जगी थी उनकी हंसी पर
हमें क्या मालूम वह हंस रहे थे हम पर
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दर्द पर मक्कारी से आंसू बहाने वालों
पलकें तक न भीगी,दिल क्या पसीजेगा
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आग लगी सीने में, आंसुओं से बुझ जाने दो
जख़्म जितने मिले,कहूं किस से,जाने भी दो
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