शेर
मौत जो मांगी तो न आई तमाम उम्र
अब जीने की तमन्ना है तो आई गले लगने।
देने को यह जिंदगी बची। है मेरे पास
पर कोई नही मिलता इसका तलबगार ।
मौत जो मांगी तो न आई तमाम उम्र
अब जीने की तमन्ना है तो आई गले लगने।
देने को यह जिंदगी बची। है मेरे पास
पर कोई नही मिलता इसका तलबगार ।