*** शेर ***
कश्तियां डूबी है बीच मझधार जाकर
हाथ से छूटा अब जो प्यार पतवार मेरे ।।१
नींद मुझको आएगी बोलो इस क़दर
प्यार में भरपेट धोखा जो खाता रहा ।।२
रातभर अहसास उसका स्वप्न मे होता रहा
मैं करवटें बदलता रहा और वो सोता रहा ।।३
? मधुप बैरागी
कश्तियां डूबी है बीच मझधार जाकर
हाथ से छूटा अब जो प्यार पतवार मेरे ।।१
नींद मुझको आएगी बोलो इस क़दर
प्यार में भरपेट धोखा जो खाता रहा ।।२
रातभर अहसास उसका स्वप्न मे होता रहा
मैं करवटें बदलता रहा और वो सोता रहा ।।३
? मधुप बैरागी