आज हम सब करें शक्ति की साधना।
आप खुद को हमारा अपना कहते हैं,
*जब हो जाता है प्यार किसी से*
*जागा भारत चल पड़ा, स्वाभिमान की ओर (कुंडलिया)*
*मोबाइल इंसानी जीवन पर भारी*
लोगों के दिलों में बसना चाहते हैं
मिलते तो बहुत है हमे भी चाहने वाले
जहन के भीतर///स्वतन्त्र ललिता मन्नू
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
#प्राण ! #तुम बिन. . .!
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी