अजीज़ सारे देखते रह जाएंगे तमाशाई की तरह
मेरे पास फ़ुरसत ही नहीं है.... नफरत करने की..
"शरीफ कम, समझदार ज्यादा हो गए हैं लोग ll
उन्हें क्या सज़ा मिली है, जो गुनाह कर रहे हैं
आप की डिग्री सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है जनाब
बन्ना तैं झूलण द्यो झूला, मनैं सावण मं
रात का सफ़र भी तय कर लिया है,
बेवजह ही रिश्ता बनाया जाता
आप हम से ख़फ़ा नहीं होना।
बचपन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
नवरात्रि का छठा दिन मां दुर्गा की छठी शक्ति मां कात्यायनी को
बाल कविता: तितली रानी चली विद्यालय
जल्दी-जल्दी बीत जा, ओ अंधेरी रात।
जो हुक्म देता है वो इल्तिजा भी करता है