इन्द्रिय जनित ज्ञान सब नश्वर, माया जनित सदा छलता है ।
सत्यव्रती धर्मज्ञ त्रसित हैं, कुचली जाती उनकी छाती।
कुदरत ने क्या ख़ूब करिश्मा दिखाया है,
सब कुछ तोड़ देना बहुत ही आसान होता है। ♥️
ग़ज़ल __न दिल को राहत मिली कहीं से ,हुई निराशा भी खूब यारों,
दरअसल Google शब्द का अवतरण आयुर्वेद के Guggulu शब्द से हुआ ह
तू नहीं चाहिए मतलब मुकम्मल नहीं चाहिए मुझे…!!
राधा का प्रेम कहें भक्ति कहें उनका नाम कृष्ण से जुदा हो नहीं
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
थोड़ा सा अजनबी बन कर रहना तुम
यें जो तेरे-मेरे दरम्यां खाई है
काश तुम मेरी जिंदगी में होते
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
अब मै ख़ुद से खफा रहने लगा हूँ
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लिखने मात्र से 'इंडिया' नहीं बन सकता 'भारत' कहने से नहीं, अपनाने से होगी हिंदी की सार्थकता