जिसका हक है उसका हक़दार कहां मिलता है,
पिता की दौलत न हो तो हर गरीब वर्ग के
मेरी निगाह को मेरे दिल का रास्ता कह लो
संवेदना कहाँ लुप्त हुयी..
बेशक कितने ही रहें , अश्व तेज़तर्रार
रिश्ते सभी सिमटते जा रहे है,
लोग चाहते हैं कि आप बेहतर करें
बुरे लोग अच्छे क्यों नहीं बन जाते
हमारी मां हमारी शक्ति ( मातृ दिवस पर विशेष)
विवाह समारोहों में सूक्ष्मता से की गई रिसर्च का रिज़ल्ट*
आइए जलते हैं
Dr. Chandresh Kumar Chhatlani (डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी)
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर की ग़ज़लें
धर्मेंद्र अरोड़ा मुसाफ़िर
घट भर पानी राखिये पंक्षी प्यास बुझाय |