मैंने इन आंखों से ज़माने को संभालते देखा है
आपको दिल से हम दुआ देंगे।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
सारे दुख दर्द होजाते है खाली,
मुहब्बत में उड़ी थी जो ख़ाक की खुशबू,
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल _ शरारत जोश में पुरज़ोर।
शेर बेशक़ सुना रही हूँ मैं
"युद्ध नहीं जिनके जीवन में, वो भी बड़े अभागे होंगे या तो प्र
⚘छंद-भद्रिका वर्णवृत्त⚘
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मतदान से, हर संकट जायेगा;
अच्छा है कि प्रकृति और जंतुओं में दिमाग़ नहीं है
The thing which is there is not wanted
नरेंद्र
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एक दिन हम भी चुप्पियों को ओढ़कर चले जाएँगे,