शेर
आज जब मयस्सर नहीं मयखानों में
तब हमे याद आई पैमानों की
काश हम पहले ही कद्र करते पैमानों की
तो आज ऐसी कैफियत न होती दिवानों की.
राजीव रोहतासी
मो-9103279819
आज जब मयस्सर नहीं मयखानों में
तब हमे याद आई पैमानों की
काश हम पहले ही कद्र करते पैमानों की
तो आज ऐसी कैफियत न होती दिवानों की.
राजीव रोहतासी
मो-9103279819