शेर
हमने अपनी तबाही का मंजर देख लिया।
जब उसको छत पर आते हुए देख लिया।।
नज़रें मिली होंठ मुस्कुराए इशारा हो गया।
मासूम समझा जिसे दुर्गा का रूप देख लिया।।
चिमटा बेलन आज उसके हाथों में देख लिया।
बुरे वक्त को अपने करीब से देख लिया।।
शुक्र है पड़ोसन का जो फरिश्ते की तरह आ गई।
पर्दे के पीछे से छिप कर अप्सरा को देख लिया।।