शेर
”शहर में हर शख्स तनहा अनमना बहरा मिला
कोठियाँ सब की अलग सब का जुदा कमरा मिला’
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;;रौनकें ही रौनकें थी आप जब तक थीं वहां
ख्वाब में आया वही मंज़र मुझे वीरां मिला’
”शहर में हर शख्स तनहा अनमना बहरा मिला
कोठियाँ सब की अलग सब का जुदा कमरा मिला’
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;;रौनकें ही रौनकें थी आप जब तक थीं वहां
ख्वाब में आया वही मंज़र मुझे वीरां मिला’