उड़ान
तुम्हें भरनी है यदि उड़ान
हवाओं के रुख पर
तो बेशक तुम उड़ो ।
मैं तो अपने पंखों को पुष्ट कर
अपने हौंसलों से ही
अपना आकाश नापूंगी ।
जो लिख गया कोई
उसे बेशर्त तुम बाँचो
मगर मैं जो जिऊँगी जो गहूँगी
वो ही बांचूंगी ।
वरूं मैं क्यों किसी का पथ
बनाऊं क्यों नहीं स्वपथ ?
गिरूंगी, फिर उठूँगी
और फिर आएगा वो भी दिन
संभलना सीख कर मैं भी
स्वयं स्व मार्ग पा लूंगी ।