शेर
1-
जब भी तेरा नाम आता है जुबान पर, पत्थर मेरे नाम से उछाला जाता है।
तू तो खुश है अलग होकर मेरे भाई, मगर तेरी बदसलूकी का बदला मेरे खून से जाता है।।
2-
मेरे साथ रहता है, मगर मेरे दुख को क्यों नही समझता ।
तू कैसा हमदम है, परछाई होकर भी मुझे नही समझता ।।
3-
मैं आज तुझको देखकर , क्यों परेशान हूँ..?
कल तक तो तू, मेरी निगाहों में भी ना था..!!
4-
तूने मेरे खाते में लिखा है, जो दिया था वो तो बर्बाद कर दिया मैंने ।
अब आगे के लिए बता, जिंदगी में फकीरी के सिवाय बचा क्या है..!!
5-
ये जिंदगी इतनी लंबी क्यो दी है, जिसमें तू नही वो जिंदगी क्यो दी है ।
इस जिंदगी को उठाऊंगा कब तक, जिस दर्द का मर्ज नही ऐसी मोहब्ब्त क्यो दी है ।।
6-
धर्म, जाति और मजहब, सब तमाशा है खून है ।
मोहब्बत रखो दिल में, बाकी का सौदा फिजूल का ।।
7-
ईमान से इंसान बनता है और इंसानियत से राष्ट्र ।
परवाह करो जमीर की, मोहब्बत से उठेगा राष्ट्र ।।
8-
मिलना भी तुमसे रहा ऐसा कि बिछड़ कर भी ना बिछड़े ।
जब भी मुझे मेरा वक्त याद आया, दोस्त तुम मेरे सबसे करीब निकले ।।
9-
गहरे दरियाओं की ख़ामोशी, गहराई में और ज्यादा है ।
जहाँ आवाज़ नही होती, वहां पर दर्द ज्यादा है ।।
10-
मुझे तेरे होंठो की हंसी देखी नही जाती, मैं उखड़ गए हूँ दरख़्त होकर ।
जमीन पर रेंगती तेरी घास जैसी हरियाली, मुझे देखी नही जाती ।।