कोई मजबूरी है क्या
क्या कहा अब बिछड़ रहे हो
तुम्हारी कोई मजबूरी है क्या
क्या कहा अब कभी नहीं मिलोगे
वैसे मिलना ज़रूरी है क्या
इतना बेचैन क्यों रहते हो तुम
कोई ख्वाहिश अधूरी है क्या
बिछड़ के अब आंखें नहीं रोईं
दिल की भी मंजूरी है क्या
क्या कहा अब बिछड़ रहे हो
तुम्हारी कोई मजबूरी है क्या
क्या कहा अब कभी नहीं मिलोगे
वैसे मिलना ज़रूरी है क्या
इतना बेचैन क्यों रहते हो तुम
कोई ख्वाहिश अधूरी है क्या
बिछड़ के अब आंखें नहीं रोईं
दिल की भी मंजूरी है क्या