’शे’र’ : ब्रह्मणवाद पर / मुसाफ़िर बैठा
कुछ चिंता की बात है यह कि हस्ती मिट नहीं पा रही तिहारी।
सदियों से दख़ल और दौर-ए-द्विज का रहा है जालिम पसारा।।
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