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7 Sep 2021 · 1 min read

“शेर” ( तब मेरा हृदयाॅंगन खिल सा गया )

“शेर” ( तब मेरा हृदयाॅंगन खिल सा गया )
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तब मेरा हृदयाॅंगन खिल सा गया ।
अर्से बाद जब किसी ने याद किया।।

होती थी पहले छुप – छुपकर बात।
अब तो खुल गए सारे ही जज़्बात ।।

उसकी ऑंखों में समंदर ही समाया है।
डूबकर जिसमें सब कुछ ही पाया है ।।

जब कभी उनसे बातें मैं करता हूॅं ।
दुनिया की हर खुशी ढूॅंढ़ा करता हूॅं ।।

आखिर उसने मुझपे ही है विश्वास किया ।
सारी दुनिया को तज मुझसे ही आस किया।।

काश, उसकी हर अपेक्षा पे ही खरे उतर जाऊं।
फिर मैं भी ख़्वाबों में डूबकर थोड़ा संवर जाऊं।।

अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 07 सितंबर, 2021.
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Language: Hindi
Tag: शेर
6 Likes · 2 Comments · 553 Views
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