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30 Aug 2017 · 1 min read

कुछ की चाहत

सीमित की चाह में ..सीमित ही रह गए,
वरन् सब चाहने वाले ..अपने ही थे,

असीमित की चाह में ..भटक गए,
ये सोच.. चाहत ही छोड़ दी चाह की,

इसी में सबकुछ ..बसता है,
हर क्षण यादगार है…।।

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 221 Views
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