कुछ की चाहत
सीमित की चाह में ..सीमित ही रह गए,
वरन् सब चाहने वाले ..अपने ही थे,
असीमित की चाह में ..भटक गए,
ये सोच.. चाहत ही छोड़ दी चाह की,
इसी में सबकुछ ..बसता है,
हर क्षण यादगार है…।।
सीमित की चाह में ..सीमित ही रह गए,
वरन् सब चाहने वाले ..अपने ही थे,
असीमित की चाह में ..भटक गए,
ये सोच.. चाहत ही छोड़ दी चाह की,
इसी में सबकुछ ..बसता है,
हर क्षण यादगार है…।।