शेर ओ शायरी 02
1.अधूरा था तुमसे मेरा इश्क जो परवरदीगार ने लिखा था नियति की लेखनी से,
चुरा लेते नियति से तुमको अगर तुम बेवफा न होते,
2.मांगता है यह दिल ऐसी कोई महबूबा ,
की प्यार हमे हो इजहार वो करे,
नाराज हम हो और गुस्सा वो करे,
सादगी में हम जिए तारीफ दुनिया उसकी करे,
3.अब उसे कैसे अपनाए ए गहलोत,
की वो बेवफा हो गया अब वफादार नही रहा,
4.में चाहता था सादगी में सादगी को पाना,
उसके आधुनिकपन ने हमे आधुनिक कर दिया,
5. उसकी आंखों में डूबने का मन करता है,
लगता है वो शराब के नशे सी है,
6.चाहिए था मुझे उसका साथ व हाथ जीवन को गुजारने के
लिए,
जिद बस मेरी इतनी सी की इजहार वो करे,
7.पिला दे ए साखी अब तू मुझे थोड़ी सी शराब,
की उसकी आंखों में हरदम नशा सा रहता है,
8. उसका मेरे जीवन में आना एक त्रासदी की तरह था,
आकर के जिसने जीवन में तबाही मचा दी,
9.मेरे दिल में रहने वाली सदा मेरे तू पास रहे,
मुझसे नजरे मिला नजरे चुराने वाली तू जीवन भर बदहवास रहे,
10. बस ट्रेन व लडकी एक जाती है दूसरी आती है,
अमूमन ऐसी सोच वाले लडको को ही लड़की ब्याही जाती है,
भरत गहलोत
जालोर राजस्थान,
संपर्क सूत्र -7742016184 –