कविता :– आओ …..हम तुम प्यार करें !!
आओ….हम तुम प्यार करें !!
जी भर के इकरार करें !
आओ …. हम तुम प्यार करें !!
बेदर्द जमाने की आहट
हमको बहुत सताई थी ,
लू के गरम थपेडे जैसे
पीडा भरी जुदाई थी ,
अब बागों मे बहारें चहक रहीं ,
हम सावन का सत्कार करें !
आओ …. हम तुम प्यार करें !!
खुशबू से फिजाएं महक उठी
समा रंगो से नहाया है ,
अंगडाई लेता ये बसन्त
सौगात मिलन का लाया है ,
जैसे जोडे तोता मैना के ,
हम खुद को तैय्यार करें !
आओ…. हम तुम प्यार करें !!
हम खुद मे खो जायें ऐसे
खुद का भी ख्याल ना हो ,
अरमानो के बीच खडा
दौलत का मायाजाल ना हो ,
छोड जमाने की झंझट ,
अब घर आंगन गुल्जार करें !
आओ …. हम तुम प्यार करें !!
वर्षों पहले संग मिलकर
हम जो ख्वाब संजोये थे ,
खिली हुई अब वो कलियां
उस दिन जिनको बोये थे ,
अब ख्वाबो से बाहर आकर ,
हम सपनो को साकार करें !
आओ…. हम तुम प्यार करें !!
कवि – अनुज तिवारी “इन्दवार”