* मन में उभरे हुए हर सवाल जवाब और कही भी नही,,
*सबके भीतर हो भरा नेह, सब मिलनसार भरपूर रहें (राधेश्यामी छंद
You never know when the prolixity of destiny can twirl your
सिय का जन्म उदार / माता सीता को समर्पित नवगीत
*.....उन्मुक्त जीवन......
अंधभक्तो को जितना पेलना है पेल लो,
बापक भाषा
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
जो लगती है इसमें वो लागत नहीं है।
जो लोग धन को ही जीवन का उद्देश्य समझ बैठे है उनके जीवन का भो
आपके मन की लालसा हर पल आपके साहसी होने का इंतजार करती है।