शून्य
शून्य नहीं कुछ
और शून्य ही संपूर्ण है
शून्य से मैं भी हूं तुम भी हो
शून्य में मिलकर ही हम पूर्णतया संपूर्ण हैं
शून्य से ही यह धरती सारी
शून्य से क्षितिज और व्योम
शून्य से सांसों की वीणा
शून्य से फिर महाप्रयाण
शून्य से सच है ॐ
शून्य जगती का आधार
मैं तुम मैं और तुम मुझ में प्रिय
महाशून्य जब हुआ साकार ।।