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20 Jun 2023 · 1 min read

शून्यता की ओर

अगर भूल से कभी भी मन में
आ जाता हो कोई उत्तम विचार
और जाेर से बक बक करने को
मन को करने लगे एकदम लाचार
किसी हाल में भूलकर भी कभी
अपने मुँह काे मत ही खोलो
फिर भी मन यदि नहीं माने तो
कुछ बाेलाे ताे संयम से ही बोलो
क्या पता कभी भी किस बात पर
किसी की नजर में चढ़ जाओ
और निर्दोष बकरे की तरह
चुपचाप अपने प्राण काे ही गंवाओ
ऐसा न हाे की कभी भी घर पर
अचानक ही पुलिस आ धमके
या नहीं ताे फिर गर्दन काटने काे
किसी के हाथ में खंजर चमके
अभिव्यक्ति की आजादी का ताे
लगता जैसे अब मजाक बन रहा है
कोई डर कर बिल्कुल नहीं ताे काेई
जी भर कर इसका प्रयाेग कर रहा है
आस पास की हवा से अभी मन
अन्दर ही अन्दर कुलबुलाने लगा है
और देश में तुष्टिकरण की नीति
अपना स्थायी जड़ जमाने लगा है
देश सरकार संविधान और कानून
ताे अब किताबी बात लगने लगा है
हमेशा साथ साथ रहने वाले लाेग ही
एक दूसरे को पूरा दगा देने लगा है
कुछ देर के लिये ही सही दूरदर्शी बन
अपने आनेवाले कल से ताे डराे
बात बात पर उथल पुथल न मचा के
मानवता के धर्म का सम्मान ताे कराे
लगता है राजनीति और धर्म के आगे
अब लाेगाें की बुद्धि भी हो गई है तंग
थाेड़ी सी ऊँच नीच किसी बात पर ही
उग्र हिंसा से शाँति हाे जाती है भंग

Language: Hindi
200 Views
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