*धन्य-धन्य वह जो इस जग में, हुआ बड़ा धनवान है (मुक्तक)*
आए हैं फिर चुनाव कहो राम राम जी।
संवेदन-शून्य हुआ हर इन्सां...
यूं उन लोगों ने न जाने क्या क्या कहानी बनाई,
अंधेरों में कटी है जिंदगी अब उजालों से क्या
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
आँखें कुछ ख़फ़ा सी हो गयी हैं,,,!
विचारिए क्या चाहते है आप?
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी "
सुबह सुबह घरवालो कि बाते सुनकर लगता है ऐसे
When you strongly want to do something, you will find a way
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
उनसे नज़रें मिलीं दिल मचलने लगा
"एक अग्नि की चिंगारी काफी है , जंगल जलाने के लिए l एक बीज का
कड़वा सच
ऐ./सी.राकेश देवडे़ बिरसावादी