-शुभ स्वास्तिक
-शुभ स्वास्तिक
मंगलदायक मंगल का प्रतीक है स्वास्तिक
धार्मिक स्थल पर रहता यह चित्र अंकित।
कुशलक्षेम, कल्याण, आनन्द का अस्तित्व
सृष्टि चक्र से भी होता है सदा परिभाषित।
चार भुजाएं, चारों वेद,चार दिशाओं के गीत
कुंकुम और हल्दी से श्रृद्धा भाव भर निर्मित।
सत्यसनातन,मर्यादा हिन्दूधर्म का अटल प्रतीक
‘वसुधैव कुटुम्बकम’ की भावना होती निहित।
शुभदास्तु चित्र का दर्शन कर लेता नित जीव
शुभ सुकून और सुख प्राप्त होता है अजीज।
‘सु ‘ और ‘सत्ता’ का शुभस्वातिक है अस्तित्व
धर्म कोई भी हो सभी में करता है कारज सिद्ध।
अजर, अमर सदा वेद शास्त्रों में साक्षात लिखित
स्वास्तिक चिह्न में है श्री लक्ष्मी,हरि है विराजित ।
-सीमा गुप्ता, अलवर राजस्थान