*शुभ विवाह की मंगल-ध्वनि से, विहॅंस रहा संसार है (गीत)*
शुभ विवाह की मंगल-ध्वनि से, विहॅंस रहा संसार है (गीत)
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शुभ विवाह की मंगल-ध्वनि से, विहॅंस रहा संसार है
1)
कुछ खट्टा कुछ मीठा अनुभव, सबके हिस्से आया
सफल गृहस्थी है वह जिसने, सामंजस्य बिठाया
कभी-कभी पीछे हटने में, छिपा सिद्धि का द्वार है
2)
खटपट किसके घर-ऑंगन में, बोलो नहीं हुई है
कुछ कड़वाहट जीवन-क्रम में, किसने नहीं छुई है
जहॉं मौन का अर्थ मुखर है, अविरल रस की धार है
3)
यह रिश्ते नाजुक होते हैं, इन्हें नेह में घोलो
कभी चंद्रमा की किरणों में, नयनों से कुछ बोलो
प्रेम सृष्टि के आदि-काल से, जीवन का आधार है
शुभ विवाह की मंगल-ध्वनि से, विहॅंस रहा संसार है
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451