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5 Oct 2023 · 1 min read

*शुभ रात्रि हो सबकी*

शुभ रात्रि हो सबकी
अज्ञानी की कलम

कीवन किस पे हर्षित,मन मस्तिष्क विचार करो,
मरना तो अटल सत्य है अहं का परित्याग कर जाओगे।
गुरु चरणं सर नवाये कर भाव विभक्त कुछ सुविचार लिखो,
*का न समुद्र समायेकर का जग काल को न खिलाओगे।
जिन्दगी को नौ निहाल करनी कर कुछ कर्म सुधारों*,
सुकर्म कुछ कर जाओगे, याद आओगे।*
मगन मनोहर में सविता के अज्ञानी”
~वीर सपूत मातृभूमि पे मरमिट पाओगे।।

जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी उ•प्र•

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