Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 May 2024 · 1 min read

शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं

मंगल हुई सभी दिशाएं
अष्टमी कन्या पूजन से देवी मां प्रसन्न हुई।

नवमी तिथि श्रीराम जन्म से वसुन्धरा प्रपन्न हुई
हरियाली फिर समृद्ध हुई।

शीत ऋतु अब बंसत हुई

शीतल समीर मंद हुई
नर्म वायु की तासीर से फलों से मरकंद बहे स्वर्णिम पर्वत शिखर हुए
दिनकर की मीठी तपिश से
मन की प्रसन्नता स्वच्छंद हुई।

बागों में सुगन्धित पुष्प गंध बही
देव आगमन हो रहा है
वसुन्धरा भी समृद्ध हुई।

चित्रकला प्रकृति की रंगों में
चरितार्थ हुई गेंदा,गुलाब, गुङहल सूरजमुखी
आदि अद्वितीय पुष्पों से वसुन्धरा का श्रृंगार हुआ।

सर्वप्रथम जगतजननी के आगमन का आह्वान हुआ
नयनों में शोभा भरकर ह्रदय भक्ति रस पान करो।

प्रकृति दे रही भव्य संदेशा..मन में रखो शुभ भावना सर्वहित रखो कामना ..नौ द्वारों से नौ रुपों में।

नवदुर्गा वरदान है दे रही झोली भर लो
उम्मीदों की किरण यही है श्रद्धा समर्पण संकल्प सिद्ध कर लो..।

सत्य धर्म ही सर्वोपरि त्याग,दया ,
क्षमा भाव ही मंगल जीवन के अधिकारी
उठो जागो शुभ मंगल द्वार पर तेरे दस्तक दे रहा।

होने को है नया सवेरा …
शुभ मंगल सवेरा ..

31 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ritu Asooja
View all
You may also like:
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
बदरा बरसे
बदरा बरसे
Dr. Kishan tandon kranti
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
मैं फूलों पे लिखती हूँ,तारों पे लिखती हूँ
Shweta Soni
कविवर शिव कुमार चंदन
कविवर शिव कुमार चंदन
Ravi Prakash
आप कोई नेता नहीं नहीं कोई अभिनेता हैं ! मनमोहक अभिनेत्री तो
आप कोई नेता नहीं नहीं कोई अभिनेता हैं ! मनमोहक अभिनेत्री तो
DrLakshman Jha Parimal
–स्वार्थी रिश्ते —
–स्वार्थी रिश्ते —
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
कितना रोका था ख़ुद को
कितना रोका था ख़ुद को
हिमांशु Kulshrestha
(कहानी)
(कहानी) "सेवाराम" लेखक -लालबहादुर चौरसिया लाल
लालबहादुर चौरसिया लाल
चिकने घड़े
चिकने घड़े
ओनिका सेतिया 'अनु '
पिछली भूली बिसरी बातों की बहुत अधिक चर्चा करने का सीधा अर्थ
पिछली भूली बिसरी बातों की बहुत अधिक चर्चा करने का सीधा अर्थ
Paras Nath Jha
चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता)
चंद्रयान-3 / (समकालीन कविता)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
लागे न जियरा अब मोरा इस गाँव में।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
कोई भी मजबूरी मुझे लक्ष्य से भटकाने में समर्थ नहीं है। अपने
कोई भी मजबूरी मुझे लक्ष्य से भटकाने में समर्थ नहीं है। अपने
Ramnath Sahu
माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
माशा अल्लाह, तुम बहुत लाजवाब हो
gurudeenverma198
आप और हम
आप और हम
Neeraj Agarwal
नया साल
नया साल
Mahima shukla
हार नहीं होती
हार नहीं होती
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
इंसान का मौलिक अधिकार ही उसके स्वतंत्रता का परिचय है।
इंसान का मौलिक अधिकार ही उसके स्वतंत्रता का परिचय है।
Rj Anand Prajapati
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
*सिर्फ तीन व्यभिचारियों का बस एक वैचारिक जुआ था।
Sanjay ' शून्य'
23/56.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/56.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जीवन से पहले या जीवन के बाद
जीवन से पहले या जीवन के बाद
Mamta Singh Devaa
ऐसा नही था कि हम प्यारे नही थे
ऐसा नही था कि हम प्यारे नही थे
Dr Manju Saini
झूठ का अंत
झूठ का अंत
Shyam Sundar Subramanian
"इश्क़ की गली में जाना छोड़ दिया हमने"
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
नया सपना
नया सपना
Kanchan Khanna
भरी महफिल
भरी महफिल
Vandna thakur
तेरे बिना
तेरे बिना
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सिंहपर्णी का फूल
सिंहपर्णी का फूल
singh kunwar sarvendra vikram
Jeevan Ka saar
Jeevan Ka saar
Tushar Jagawat
भर गया होगा
भर गया होगा
Dr fauzia Naseem shad
Loading...