पहाड़ के गांव,एक गांव से पलायन पर मेरे भाव ,
कुछ रिश्ते भी रविवार की तरह होते हैं।
पहला प्यार नहीं बदला...!!
तुम्हीं रस्ता तुम्हीं मंज़िल
इश्क़ चाहत की लहरों का सफ़र है,
लिखा है किसी ने यह सच्च ही लिखा है
गीत
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
सच्ची मेहनत कभी भी, बेकार नहीं जाती है
पुरुषो को प्रेम के मायावी जाल में फसाकर , उनकी कमौतेजन्न बढ़
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
बहुत फर्क पड़ता है यूँ जीने में।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मै अकेला न था राह था साथ मे