शुभ्र कपोत
हे शुभ्र गौर, श्वेत,अमल रंग कपोत,
वलक्ष, शुक्ल,अवदात पारावत।
तुझे देख हृदय ऊर्जावान हुआ,
अति हर्ष से मन मेरा हुआ ओतप्रोत।
हे रक्तलोचन उज्ज्वल धवल,
है परवाज़ तेरी उन्मुक्त निश्छल।
अति श्वेत सफ़ेद तू कबूतर,
निष्काम सद्भावना तेरे भीतर।
हे शुभ्र चांदनी में नहाए पक्षी
क्या कोई शांति दूत है तू?
किसका संदेश तू ले जाता?
क्या संघर्षों का कोई पूत है तू?
तुझे देख नीलम मन हर्षित होता
सचमुच ही बहुत अद्भुत है तू।
ऊर्जस्वित उल्लासित आह्लादित
करती तेरी उड़ान रहे।
निरांतक समरसता सदा
तेरी पहचान रहे।
तुम अतिशय पावन उज्ज्वल हो
हो शांत अति, नहीं चंचल हो।
है कामना तू ले ऊंची उड़ान सदा,
शांति सद्भावना हो तेरी अदा।
नीलम शर्मा