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4 Jun 2023 · 1 min read

शुभकामना

सकल कुटुम्ब रहे सुख से यही ईश्वर से नित प्रार्थना करते।
दुःख की धूप पड़े न कभी किसी पर मन से यही कामना करते।।

घर धन धान्य से पूर्ण रहे नहीं बीते अभावों का सामना करते।
जीवन पथ संकट से रहित हो कर जोड़े यही याचना करते।

रथ गृहस्थी का सतत् चले प्रभु नित्य कर्म श्रम साधना करते।
धर्म के पथ पे चलें निस दिन हर कर्म करें शुचि भावना करते।

प्रेम की डोरी से यूँ हों बंधे संबंध रहे संभावना करते।
मुस्काए सुख समृद्धि उन घर जिन उर प्रीत हों आसना करते।

स्वस्थ रहे तन, मन पुलकित उर अंतर से शुभकामना करते।
दो आशीष व्यतीत हो जीवन हे हरि हरि आराधना करते।

रिपुदमन झा ‘पिनाकी’
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित एवं मौलिक

Language: Hindi
85 Views
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