शुद्ध हिंदी माध्यम से पढ़े एक विज्ञान के विद्यार्थी का प्रेमप
शुद्ध हिंदी माध्यम से पढ़े एक विज्ञान के विद्यार्थी का प्रेमपत्र:
“‘ मेरी अति प्रिय …..जबसे मैंने तुम्हारी परखनली जैसी पतली नाज़ुक उंगलियो को स्पर्श किया है,मेरे हृदय में लगातार बहुत सी रासायनिक औऱ भौतिक प्रतिक्रियाएं हो रही हैं, तुम्हारी कार्बन जैसी काली आंखे ,लाल लिटमस पत्र जैसे होंठ ,शंकू के आकार के नाक और कैल्शियम जैसे दांतो के चुम्बकीय प्रभाव से मेरे आसपास प्रेम व आकर्षण का एक वृहत विद्युत क्षेत्र बन गया है जिससे मेरे शरीर की इश्क़ रुपी कोशिकायें तुम्हारे प्रति जबरदस्त रूप से आवेशित हो गई है…..
हे प्राणप्रिय……विपरीत ध्रुव तो वैसे भी एक दूसरे को आकर्षित करते हैं ,इसीलिये तुम्हारे शरीर से निकलने वाली सुगंधित गैसें मेरे मन मस्तिष्क में प्रेम रूपी द्रव्य का संचार करती हैं और यही एक ठोस वजह है जिससे मेरे ह्रदय की धमनियों में प्यार की ध्वनि तरंगे प्रवाहित होकर द्रव के समान तरल हो रही हैं , क्या तुम्हारे मन की पीरयोडिक टेबल में मेरे नाम का कोई भी रासायनिक पदार्थ नहीं है ….प्रत्येक क्रिया के बराबर एक विपरीत प्रतिक्रिया होती है, मतलब एक दिन तुम्हारें इन उदासीन अणुओं को मेरे प्रेम से आवेशित परमाणु ,अवश्य ही बल लगाकर ,कठोरता से द्रव्यता की ओर विस्थापित करेंगें और हम अवश्य ही दो जिप्सम एक जान बनेंगें …….
मैं हर हाल में तुम्हारे मन मस्तिष्क के सफ़ेद लिटमस पत्र को नीला करके ही दम लूंगा भले ही मेरे जीवन की प्रकाश संश्लेषण क्रिया बंद हो जाए…………..सिर्फ़ तुम्हारे दिल के केन्द्रक का न्युट्रान………तुम्हारा….न्यूटन
(संकलित)