शुद्ध गीता छंद
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शुद्धगीता छंद
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जब लगी हो आग तो तू, और घी उसमें न डाल ।
जल रहा हो घर किसी का, मत बजा तब तीन ताल ।।
एक कोशिश भी करे तो, हो सकेगी शांत आग ।
तो बचा दामन रहेगा, लग न पाये एक दाग ।।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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