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2 Jul 2021 · 4 min read

शुक्ला जी और शुक्लाइन जी की लड़ाई

शुक्ला जी जोर से चिल्लाते हैं ,अरे सुनती हो ! जरा इधर तो आना
शुक्ला जी का चिल्लाना जैसे घर में कोई भूकंप आ गया हो ,आगे से जवाब आता है- कौन मर गया अब क्यों चिल्ला रहे हो I
शुक्ला जी झल्लाते हुए बोले –ये क्या बनाया है बिलकुल गोबर जैसा खाना छि ! इसे हटाओ यहाँ से I
शुक्ला जी की बीबी –अच्छा जी आपको तो गोबर का भी स्वाद पता है I तभी तो खाना गोबर जैसा लग रहा है I
तभी दरवाजे से आवाज आती है I मम्मी –पापा मैं आ गया I चिंटू शुक्ला जी का लाडला बेटा (उम्र 20 साल)——बिलकुल बाप पर गया है I
शुक्ला जी –आओ मेरे चिंटू बेटा आओ
तभी आवाज आती है चिंटू जल्दी से जाओ कपड़े बदलो मैं तुम्हारे लिए खाना लगा देती हूँ I चिंटू आराम से बिस्तर पर लेट जाता है बिना कपड़े बदले I
तभी उसकी माँ चिल्लाती है चिंटू मैंने कहा न पहले कपड़े बदलो I मम्मी मैं थक गया हूँ I थोड़ी देर आराम करने दो I
शुक्ला जी –जब देखो मेरे बच्चे पर चिल्लाती रहती हो I कभी तो शांत रहा करो I और कुछ देर में ही दोनों की बहस शुरू हो जाती है I
चिंटू घर पर प्यार से कहा जाने वाला नाम असल में नाम तो इनका चित्रांश है I
चित्रांश जी को किसी लड़की से प्यार हो गया है I पर प्यार का इजहार अभी तक नहीं किया I
कुछ दिन बाद शुक्ला जी के कानों में उड़ती हुई खबर आती है I बेटा चिंटू किसी से आँखें लड़ा बैठे हैं I फिर क्या था शुक्ला जी तो तन्मना गए I चिल्ला –चिल्लाकर सारा घर सर पर उठा लिया I
देख लो तुम्हारे बेटे को पढाई की उम्र में इश्क लड़ा रहा है I सब तुम्हारे लाड प्यार का नतीजा है I
तभी शुक्लाइन दनदनाती हुई अच्छा जी बेटा कुछ अच्छा करे तो आपका और कुछ गलत करे तो माँ का लाड प्यार I
मुझे तो लगता है सब आपके कर्म है जो चिंटू ऐसा है I
शुक्ला जी –तुम कहना क्या चाहती हो मैं तुम्हें लड़की बाज लगता हूँ क्या ?
इसमें कहने की क्या बात है मैंने तो सब अपनी आँखों से देखा है I
शुक्ला जी –बडबडाते हुए क्या देखा है तुमने हमें भी तो पता चले I ऐसे अँधेरे में तीर मत चलाओ I
छोड़ो भी मैं अभी गाजर का हलवा बनाने जा रही हूँ I
शुक्ला जी की झल्लाहट में अब हैरत भी घुल चुकी थी, ‘पगला तो नहीं गई हो ! पढ़ने की उम्र में बेटा इश्कबाजी में मशगूल है और तुम हलवा बनाने जा रही हो।’
लेकिन शुक्लाइन की खुशी तो जैसे बढ़ती ही जा रही थी, ‘बिलकुल बनाउँगी ।आज मुझे अहसास हो रहा है क्योंकि सास भी कभी बहू थी शुक्लाइन गुनगुनाती हुई किचन में चली जाती है I
बीवी की यह बात सुनकर शुक्ला जी की हैरानी और गुस्सा, दोनों हाई लेवल पर पहुंच चुके थे। फिर भी, दांत न किटकिटाएँ
शुक्ला जी की क्रोध भरी निगाहें शुक्लाइन पर ही गड़ी थीं I
शुक्लाइन इतनी क्रोध भरी निगाहों से हमें न देखो कभी आज तक आपने न घर के किसी काम में मेरी मदद की है और न ही चिंटू को सँभालने में I तो इतना ताना मुझे मत मारा करो I
शुक्ला जी –तुम्हे क्या लगता है हमें खाना बनाना नहीं आता I अरे तुम क्या जानो हमने इसमें तो पी एच् डी कर रखी है I
शुक्लाइन –अच्छा जी यही बात है तो कल ही इस बात को आजमा लिया जाए I कल आपके मित्र शर्मा जी का जन्मदिन है और हर साल वो अपना जन्मदिन हमारे घर पर ही मनाते हैं I आप उनके लिए कुछ विशेष बनाओ I शुक्ला जी ने आव –देखा न ताव बस हाँ कर दी
शुक्ला जी अपने मित्र के लिए कल कुछ विशेष बनाने का निर्णय किया I
अब चिंटू की बातें तो भूल गए थे बस अब तो इज्जत का सवाल है I चिंटू को बाद में देख लेंगे I
शुक्ला जी ने गूगल पर केक बनाने का नुस्खा देखा बड़ा पसंद आया I
सारा सामान रखा गया I गूगल पर जैसा लिखा था शुक्ला जी वैसे ही अपने हाथ चला रहे थे I तभी गूगल पर कुछ और ही बटन दब गया I
पर शुक्ला जी को कहाँ ध्यान था वो तो मस्त थे केक बनाने में I
चलो केक तो बन गया शर्मा जी भी आ गए पूरी तैयारी कर ली गई I शर्मा जी केक लाया गया I केक देखने में तो बड़ा ही सुन्दर लगा शुक्ला जी आँखें घुमा घुमा कर शुक्लाइन को देख रहे थे I मानो उन्हें चिढ़ा रहे हो I
शर्मा जी बड़े खुश वह शुक्ला जी आपने इतने सालों में पहली बार मेरे लिए केक बनाया I मेरा दिल तो भर आया I
शुक्ला जी को शुक्लाइन को चिढाने का मौका मिल गया फिर क्या था अपनी तारीफों के पुल बांधना शुरू कर दिया I
अब समय आया केक काटने का शर्मा जी ने चाकू उठाया केक पर चाकू रखा पर केक काटने को तैयार ही नहीं कितने जतन किये गए पर केक नहीं कटा I अब तो शुक्ला जी शर्म से पानी –पानी हो गए I
शुक्लाइन – बहुत बुरा हुआ , लगता है आपने नुस्खा गलत पढ़ लिया I

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