शुक्रिया जिंदगी!
ऐ जिंदगी!
तू कभी खट्टी है तो कभी मीठी,
कभी आसां तो कभी मुश्किल,
तू जो इतनी नाराज रहती है मुझसे,
बता तो सही मेरी खता क्या है.
तू जो मेरे इतने इम्तिहान लेती है
जीने की शर्त पर हर बार दर्द देती है
ये मेरे सफर की मुश्किलों को कम करने की इब्तिदा है
या फिर आस टूटने की इंतिहा
पर, फिर भी
शुक्रिया ऐ जिंदगी !
गर नाराज़ न होती तू ,तो
रिश्तों की उधड़ी हुई सीवन कैसे नज़र आती
आस्तीनों में पनाह लेने वालों की खाल कैसे पहचानी जाती,
सच कहूं, तू है तो हर मौसम खुशरंग है
पलकों की डोली पर सजते ख्वाब हैं
तेरा शुक्रिया.