शुक्रगुजार
बेहिसाब बरसता रहा
तेरी कृपा का खजाना
जी भर के उसे
मै बटोरता चला गया ।
शुक्रगुजार है परवतदिगार
तेरे दिखाये रास्ते पे
निरन्तर उम्र भर
मै चलता चला गया ।
इच्छाओं के भ॔वर से
बहुत बहुत दूर
सफर सुकूने जिन्दगी का
मै करता चला गया ।
शायद मिले कभी कहीं
किसी रूप मे तू
इसी आस मे नाम तेरा
मै जपता चला गया ।।
राज विग 28.09.2021