शीशे का खिलौना
शीशे का खिलौना
देख मेरीआँखों में तुझे ख्वाब दिखाऊँ,
मेरा दिल का हाल तुझे क्या बताऊँ।
डूबा हूँ तेरी इश्क के समंदर में,
करीब आओ थोड़ा गले लगाऊँ।
आज खुद को तुझमें डुबो जाऊँ,
सारा जहां छोड़के तेरा हो जाऊँ।
किसने कहा गले से लगा मुझको,
तेरी गोद में सर रखकर सो जाऊँ।
मौसम नहीं जो पल में बदल जाऊँ,
शीशे का खिलौना नहीं जो टूट जाऊँ।
कोहिनूर हूँ जी साहिबा पुकारो तो सही,
निश्चित ही तुम्हारे हर काम आ जाऊँ।
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रचनाकार- डिजेन्द्र कुर्रे “कोहिनूर”
पीपरभावना,बलौदाबाजार (छ.ग.)
मो. 8120587822