शीशा ए दिल
आखिर इसे शीशा ए दिल यूं ही नहीं कहते ,
इसके नसीब में ही लिखा होता है टूटना ।
कभी रफिकों के हाथ का खिलौना बने ,
कभी रकीबों ने है इसे लूटना ।
आखिर इसे शीशा ए दिल यूं ही नहीं कहते ,
इसके नसीब में ही लिखा होता है टूटना ।
कभी रफिकों के हाथ का खिलौना बने ,
कभी रकीबों ने है इसे लूटना ।