शीर्षक – सोच आपकी हमारी
शीर्षक – सोच आपकी हमारी
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जिंदगी में हम कर्म करते हैं।
दूसरों का भला या बुरा करते हैं।
फल तो निश्चित कर्म का मिलता हैं।
आपकी हमारी सोच कर्म की होती हैं।
स्वार्थ फरेब या सच हम सहयोग करते हैं।
न हम न तुम बस कुदरत समय जानते हैं।
सोच आपकी हमारी बस समय होता हैं।
हम किसी की मृत्यु पर डर जो रखतें हैं।
सच तो जिंदा न कोई बचेगा समय होता हैं।
आज मेरा कल तेरा बस कुदरत का सच हैं।
कर्म हमारे मन आत्मा को मालूम रहता हैं।
वही समय हमारे फल का निर्माण करता हैं।
सोच आपकी हमारी निर्णय समय पर होता हैं।
न बुरा न भला अपनी सोच अच्छी रखते हैंं।
हम सभी कुदरत की कठपुतली बने हैं।
जो लिखा और भाग्य में हमारा वो मिलता हैं।
हां सोच आपकी हमारी न कुछ समय होता हैं।
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नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र