शीर्षक-सत्यम शिवम सुंदरम….
शीर्षक-सत्यम शिवम सुंदरम….
जय जय शिव शंकर
बसे हो मन के अंदर
जब भी देखे मूरत तुम्हारी
यही कंठ से निकले हमारी।
सत्यम शिवम सुंदरम…..
मन व्यथा से डोल उठे
मन को शंका घेर उठे
विचलित हो मन बोल उठे
एक ही नाम हृदय को जचें।
सत्यम शिवम सुंदरम…..
शिवजी की महिमा अपरंपार
भूत प्रेत सब नाथों के नाथ
ना कोई सोलह किए श्रंगार
हाथ में डमरू तन पर भभूति
देखकर झूम उठे संसार।
सत्यम शिवम सुंदरम……
गले में सर्पों की माला
हाथ में लिए हो त्रिशूल
तुमसा जोगी कोई ना देखा
ना देखा तुमसा भोला भोलेनाथ
सुबह शाम बस शंभू शंभू।
सत्यम शिवम सुंदरम….
हरमिंदर कौर
अमरोहा (यूपी )
मौलिक रचना