Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Jun 2022 · 1 min read

शीर्षक: मैं पत्थर हूँ

शीर्षक: मैं पत्थर हूँ

मैं पत्थर हूँ…
मेरी जीवन लीला बहुत विचित्र हैं
कौन कब समझ पाया पूर्णता से मुझे
मनुष्य तो मनुष्य में ही पत्थर दिल देख पाया
कहाँ कभी वो मुझ तक पहुंच पाया
मैं पत्थर हूँ…
मशीनों में टूट तुम्हारा घर बनाया
सड़क बांध तक मे मैं ही तो काम आया
शिखरों से बह तुम्हारे ही तो काम आया
देखते हो बहुमंजिला मैं ही तो काम आया
मैं पत्थर हूँ…
मेरा छोटा रूप भी तुम्हे बहुत भाया
तभी तो पूजा में शालिग्राम बना बैठाया
ईश्वर रूप में मैं ही तो मंदिर आया
फिर भी कोई मेरा दर्द समझ न पाया
मैं पत्थर हूँ…
बेगम की याद में ताजमहल मैने ही तो बनाया
तेज धूप,गर्मी,सर्दी में स्वयं को मैं संभाल पाया
पर प्रतिशोध में भी जब मुझे लाया गया
फेंका बदनामी के सिवा कुछ न मिल पाया
मैं पत्थर हूँ…
कुछ कलुषित मन,स्वार्थी लोगो ने बदनाम किया
उस समय तो मेरा दिल जार- जार रोया
पत्थर हूँ साहब कब कोई मिटा पाया
विस्फोटक की मार भी झेल मैं टिका ही पाया
मैं पत्थर हूँ…
पानी की तेज धार को शरीर पर खाया
तब जाकर मनुष्य तेरे काम आया
अनवरत बहाव को मैं ही दिशा दे पाया
दोनो किनारों के बीच जगह दे पानी तुमने पाया
मैं पत्थर हूँ…
उन्नत शिखरों से आकर सागर तक समाया
कितनी मार सहस्र वर्षो से मैने खुद पर खाया
तब जाकर पत्थर रूप में तुम्हारे सामने आया
पत्थर हूँ, पत्थर को कभी कोई समझ न पाया

डॉ मंजु सैनी
गाज़ियाबाद

Language: Hindi
99 Views
Books from Dr Manju Saini
View all

You may also like these posts

वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता हूं, जहां इज्ज़त न
वो रस्ते तर्क करता हूं वो मंजिल छोड़ देता हूं, जहां इज्ज़त न
पूर्वार्थ
तुम हमेशा से  मेरा आईना हो॥
तुम हमेशा से मेरा आईना हो॥
अमित
नहीं देखी सूरज की गर्मी
नहीं देखी सूरज की गर्मी
Sonam Puneet Dubey
🤲
🤲
Neelofar Khan
पल परिवर्तन
पल परिवर्तन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
हम जंग में कुछ ऐसा उतरे
Ankita Patel
କେବଳ ଗୋଟିଏ
କେବଳ ଗୋଟିଏ
Otteri Selvakumar
सच्ची दोस्ती
सच्ची दोस्ती
Akash RC Sharma
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
तुम्हारे फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
Night में light off करके सोइए।
Night में light off करके सोइए।
Rj Anand Prajapati
तन्हाई के आलम में।
तन्हाई के आलम में।
Taj Mohammad
उन्हें हद पसन्द थीं
उन्हें हद पसन्द थीं
हिमांशु Kulshrestha
*सौभाग्य*
*सौभाग्य*
Harminder Kaur
ख़ुदकुशी का एक तरीका बड़ा जाना पहचाना है,
ख़ुदकुशी का एक तरीका बड़ा जाना पहचाना है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
किस बात का गुरुर हैं,जनाब
शेखर सिंह
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
पवित्र होली का पर्व अपने अद्भुत रंगों से
डा. सूर्यनारायण पाण्डेय
इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
इन्सान पता नही क्यूँ स्वयं को दूसरो के समक्ष सही साबित करने
Ashwini sharma
संवेदना (वृद्धावस्था)
संवेदना (वृद्धावस्था)
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
47.....22 22 22 22 22 22
47.....22 22 22 22 22 22
sushil yadav
मेरा सनम
मेरा सनम
प्रकाश कुमार "बाग़ी"
चाह
चाह
Dr. Rajeev Jain
" बदलाव "
Dr. Kishan tandon kranti
अंधविश्वास का पोषण
अंधविश्वास का पोषण
Mahender Singh
sp116 बुझने लगे दीप
sp116 बुझने लगे दीप
Manoj Shrivastava
जीवन के सफर में अनजाने मित्र
जीवन के सफर में अनजाने मित्र
ललकार भारद्वाज
दो अक्टूबर
दो अक्टूबर
नूरफातिमा खातून नूरी
तुम्हें चाहना
तुम्हें चाहना
Akash Agam
कहां खो गए
कहां खो गए
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
#पर्व_का_सार
#पर्व_का_सार
*प्रणय*
Loading...