शीर्षक: “मैं तेरे शहर आ भी जाऊं तो”
मैं तेरे शहर आ भी जाऊं,
तो मन्नै के मिलैगा।
देख कै तेरे हालात,
मेरा जी जलैगा।।
दम घोटु हवा,
यो बेबख्त तवा,
बेमतलब भड़क,
बेहिसाब दवा।
चक्कर घमचक्कर,
धूमा सर पकड़ैगा।।
मैं तेरे शहर आ भी जाऊं तो………
फुरसत कदे नहीं,
खुद का बी हिसाब नहीं।
नींद बेटैम,
के ईब कोए ख्वाब नहीं।।
हर कोए खोद मारै,
टेंशन का बोझ मारै।
एनर्जी ड्रिंक फ्लॉप तेरी,
होज्या पॉकेटमारी,
कोए और ए मौज मारै।।
सिस्टम हैंग “सुनील सैनी”
क्यूकर गुजारा चलैगा।
मैं तेरे शहर आ भी जाऊं तो……..
©सुनील सैनी “सीना”,
राम नगर, रोहतक रोड़, जीन्द (हरियाणा)-१२६१०२.