शीर्षक – मेरा भाग्य और कुदरत के रंग
शीर्षक – मेरा भाग्य और कुदरत के रंग.
परमात्मा की खोज
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हम सभी परमात्मा की खोज करते हैं और मेरा भाग्य और कुदरत के रंग एक सच कहते हैं हम सभी शायद जानते नहीं कि परमात्मा हमारे हृदय में ही बात करता है और हमारे हृदय की सोच ही हमारा परमात्मा होता है। वैसे तो हम सभी उपदेश साधु संतों के साथ सत्संग और न जाने स्वार्थ और फरेब के साथ कितने मन से परमात्मा का नाम भी लेते हैं। आओ हम सभी परमात्मा की खोज करते हैं और अपने मन भावों में परमात्मा को समझते हैं।
राधा और रानी दोनों एक ईंटों के भट्टे पर मजदूरी करती थी। और रात दिन भर मजदूरी करने के बाद धन मिलता था उससे वह अपनी जीवन की जीविका का निर्वाह करती थी परंतु दोनों ही बहुत अच्छी सहेली थी राधा और रानी समय के साथ-साथ घर का काम करके दोनों रात और दिन ईटों के भट्टे पर मजदूरी करती थी। और दोनों की उम्र अच्छी शादी की लायक थी परंतु ईंटों के भट्टे पर काम करते-करते अपनी उम्र से ज्यादा लगने लगी थी। और राधा और रानी कभी-कभी अपने जीवन को कोसते हुए परमात्मा की खोज करती थी। और ईंटों के भट्टे पर और भी बहुत से लोग काम करते थे।
परमात्मा की खोज करने के लिए कई बार राधा और रानी में भट्टे पर काम करने वाले वहां से बुजुर्गों से पूछा की हमें बताओ कि परमात्मा कहां मिलेगा। राधा और रानी की बातों को सुनकर ईंटों के भट्टे के मजदूर उन दोनों पर हंसा करते थे। परंतु राधा और रानी अपनी बातों पर सोचती और समझती थी और ईटों के भट्टे पर काम करने वालों से कभी गुस्सा न होती थी। और एक दिन ईटों के भट्टे के मालिक ने कहा कि हम अपने भट्टे पर गुरु महाराज जी जो आएंगे उनसे सत्संग कराएगे। और सभी ईट के भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों को दावत के रूप में भंडारा करेंगे।
ईंटों के भट्टे पर काम करने वाले सभी मजदूर खुश हो जाते हैं और सोचते हैं चलो भंडारे में एक टैम का खाना तो बचेगा। और ईटों के भट्टे पर काम करने वाले सभी मजदूर अपने परिवार के साथ महाराज जी के सत्संग सुनने आते हैं। और जब सत्संग शुरू होता है। तब राधा और रानी सत्संग के मंडप में अपना नृत्य दिखती है। और दोनों सत्संग में नृत्य करते-करते महाराज जी केे भजन और गीतों पर झूमे भक्त और भगवान और भक्ति के गीतों के साथ राधा और रानी झूमते नाचते अचानक से बेहोश होकर गिर पड़ती है। राधा और रानी को भिगोशी के आलम में सपने में ईश्वर दर्शन देते हैं और कहते हैं परमात्मा की खोज तो हम सबके स्वयं अपने हृदय में होती हैं। राधा और रानी को एक ही सपने में ईश्वर दर्शन देते हैं और कहते हैं परमात्मा की खोज करना तो अपने हृदय में निस्वार्थ भाव सेवा का और प्रेम सभी से समान रूप में करें बस यही हमारे जीवन में परमात्मा की खोज होती है मेरा भाग्य और कुदरत के रंग होते हैं।
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नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र