शीर्षक—- मुझे खत लिखना है।
तुम पर मुझे खत लिखना है। पता नही कब,कैसे कहा लिखना है। जब भी लिखना है तुम्हे सन्मुख रखकर लिखना है। पता नही तुम्हे पास बैठाकर या तुमसे दूर होकर लिखना है। एक अनजानी ख़ामोशी मे लिखना है। पता नही सच में लिखना,झूठ मे लिखना है।
दुनिया जहाँ से छुप कर लिखना है या सीना तान के लिखना है। तुमने जो कस्मे दी थी उनके विरूद्ध लिखना है या उन कसमो की इज़्ज़त रख के लिखना है। तुमने जो मुझे छोड़ने से पहले आँसू बहाये थे उन आँसुओ मे कलम को डुबो के लिखना है या सूख चुकी आँखो के टूटे ख्वावो से लिखना है। जीने की आस मे मर चुके भगत की मौत पर लिखना है या तेरे छोड़ जाने के गम मे हँस के लिखना है। अब ये तुहि बता तुझे अब कैसे लिखना है। अब तुझे कैसे?????????लिखना है।।।।।।।।
#रमन भगत(पठानकोटिया)