शीर्षक – बुढ़ापा
शीर्षक – बुढ़ापा
बुढ़ापा नाम सुनकर भी हम सबको जीवन के सुनहरी यादों का सिलसिला शुरू हो जाता है सच तो यह है कि बुढ़ापा भी बहुत किस्मत वालों को आता है सच तो यह है कि जीवन की बचपन जवानी और बुढ़ापा यह तीन स्थिति होती है और हम सभी बचपन तो हम खेल में ही बीता देते हैं। और जवानी में हम धन संपत्ति मौज मस्ती में बिता देते हैं। केवल बुढ़ापा रह गया। आज जीवन में हम सभी लोग बुढ़ापा नाम सुनकर ही घबराते हैं और दूसरे का बुढ़ापा देखकर हम खुश होते हैं ऐसा हम इसलिए करते हैं क्योंकि जिस समय से हम गुजरे नहीं होते हैं उसे समय का हमें एहसास नहीं होता है।
राजू एक 5 साल का बेटा राजा उसके पिता राजू की माता का देहांत बचपन में ही हो चुका था राजा ने दूसरी शादी नहीं करी थी क्योंकि वह नहीं जाता था कि राजू को एक सौतेली मां मिले बस लोगों ने बहुत समझाया कि बच्चा बहुत छोटा दूसरी शादी कर लो परंतु राजा ने सबसे मना कर दिया उन्होंने कहा बेटा है पाल लूंगा फिर लोगों ने कहना छोड़ दिया और राजू बचपन से जवानी की ओर बड़ा हो गया और पिता राजा भी बुढ़ापे की ओर उम्र बढ़ गई।
एक दिन राजू अपने स्कूल से वापस आता है और अपने पिता को आवाज देता हैं।पिताजी पिताजी तब पिताजी आवाज लगते हैं हां बेटा क्या बात है मैं यहां रसोईघर में हूं तुम यहां आ जाओ। और राजू रसोईघर में पहुंच जाता है। और राजू अपने पिताजी से पूछता है अपने पिताजी पिताजी यह बुढ़ापा क्या होता है। राजू के पिताजी हंसकर पूछते हैं राजू आज तुम यह कैसा सवाल पूछ रहे हो बताइए तो बुढ़ापा क्या होता है राजू की पिताजी कहते हैं यह सवाल तुमसे किसने किसने कर राजू कहता है पिताजी हमारे स्कूल के टीचर एक किसी आदमी को डांट रहे थे और कर बुढ़ापा आ गया तेरे पास सठिया गया है तू तब पिताजी पूछते हैं ऐसा बेटा उन्होंने गुस्से में कहा होगा और उन्हें बात करने की तमीज नहीं है इसलिए उन्होंने ऐसा बोल दिया होगा आप ऐसी बातों पर ध्यान ना दिया करो ऐसा कहकर राजू के पिताजी रसोईघर की ओर चले गए। राजू पिताजी से जिद करने लगा पिताजी बुढ़ापा क्या होता है बताइए।
अब राजा को लगाओ राजू बड़ा हो रहा है उसको उसके सवाल का जवाब देना पड़ेगा तब राजा बोलता है बेटा अभी तुम बचपन से बड़े हो रहे हो ना इसके बाद फिर और पढ़ो जाओगे और फिर बड़े हो जाओगे तब तुम बुढ़ापे का मतलब समझोगे अभी तुम अपना खेलना खाने पर मतलब रखो बेटा परंतु राजू नहीं सुनता है कहता है सही बुढ़ापा दिखाओ बताओ मुझे क्या होता है। मेरा चेहरा देखो मेरे बाल देखो कोई भी बूढ़ा व्यक्ति बुढ़ापा मेरे जैसा होता है। पिताजी आप तो भी बहुत अच्छी हैं और आपके बाल सफेद हुए और चेहरा भी पिताजी आपका अच्छा है बस थोड़ी चेहरे पर सिलवट आई है हां राजू बेटा इसी का नाम बुढ़ापा है तो पिताजी यह बुढ़ापा आता कैसे हैं राजू का अटपटा सवाल बुरा भी लग रहा था राजा अच्छा भी लग रहा था। और राजा कहता है बेटा राजू बुढ़ापा जीवन मनुष्य की अंतिम सीढ़ी होती है इसके बाद जीवन का अंत होता है यह सुनकर राजू खामोश हो जाता है और उदास सा हो जाता है परंतु राजा उसे कहता है की बेटा यह में सबके साथ होता है और हमको कभी भी जीवन में अहंकार घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि राजू आज के जीवन की कहावत है तुम तो स्कूल में पढ़ते हो काया और माया का कोई घंमड हमें नहीं होता। और राजा दोनों खाने की मेज की ओर बढ़ जाते है। और राजू और राजा दोनों खाना खाने लगते हैं बस राजू अपने पापा को गले में हाथ डालकर कहता है पिताजी तो आदमी का जीवन बस यही है जैसे हम फिल्म देखते हैं 3 घंटे की और आखिर में दी एंड उठकर आ जाते हैं। तो जीवन भी ऐसा ही है क्या पिताजी हम बूढ़े होते क्यों हैं। राजा कहता है बेटा जीवन का कुदरत का यही नियम है कि जो जीवन में आता है वह भाग्य से बचपन जवानी और बुढ़ापा देखकर जाता है यह भी बहुत किस्मत वालों को नसीब होता है बस बेटा जीवन का अंत बुढ़ापा ही होता है। और राजू बुढ़ापा बुढ़ापा बुदबुदाता हुआ अपने कमरे में सोने चला जाता हैं।
नीरज अग्रवाल चंदौसी उ.प्र