शीर्षक – “जब हमें प्यार हुआ”(7)
यूं नज़रों से मिलीं नज़रें,
अंतरात्मा से हां में एक आवाज़ आई,
और हो गई हमारी सगाई,
जब भगवान की इच्छा होती है,
तब दिल के दिल से जुड़ते हैं तार,
और हो जाता है मिनटों में प्यार,
ऐसा लगा मानों
तन्हा सी ज़िंदगी में खिल गया,
इज़हारे गुलाब का फूल हो,
इज़हारे दिल की तामिल की
दिल से दिल ने,साथ निभाने की रस्म निभाई हमने,
उन लम्हात को शब्दों में पिरो रहे हैं,
जब हमें प्यार हुआ,इकरार हुआ,
तब से साथ मिलकर गा रहे हैं,
हसीन ज़िंदगी का गाना,
बन जाए न कोई अफसाना,याद करेगा ये ज़माना
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल